Saturday, August 8, 2015

बदल जाओ तुम भी


तुम्हारा इंतज़ार किया
उम्र तमाम किया
बार बार ये दोहराते क्यों हो
हर दफा ये जतलाते क्यों हो
बात बात पे ...जब देखो
केवल इस बात की
दुहाई देते नज़र आते क्यों हो

यूँ भी ये जो इंतज़ार किया
वो तुम्हारा मन किया ..
तो तुमने किया

मैंने तो कभी कहा था नहीं
रुकना या इंतज़ार करना मेरा
मैंने तो चाहा था यही
कि जैसे वक़्त बदला ,परिस्थितियां बदलीं
ज़िन्दगी ने एक नयी राह पकड़ी
वैसे ही बढ़ जाओ आगे तुम भी

हाँ...बिल्कुल मेरी तरह बदल जाओ तुम भी

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सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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