ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं .............
इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Saturday, August 8, 2015
बेकार
तुम मसरूफ़ थे
मसरूफ़ ही रहे
उस दौर में
जब मैंने इंतज़ार किया तुम्हारा
ज़रूरत की बाहें फैलाये हुए
मज़े की बात ये हुई
उसी दौर में
कि जो लोग ....
खाली थे,बेकार थे
वो मेरे काम आये
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