Sunday, August 16, 2015

जाने के बाद


जाने के बाद
वो खाली कमरा
याद करता है तुम्हें।
जहाँ सांसें महकती हैं तुम्हारी
बातें अब भी बतियाती हैं तुम्हारी
नाराज़गियां खटकती हैं तुम्हारी
परेशानियां परेशां हैं तुम्हारी
मुस्कुराहटें मुस्काती हैं तुम्हारी।
छोड़ गए…
जाना ही था तुम्हें।
कमरा खाली…
मैं अकेली……
आँखें भरी भरी
और दिल भारी

1 comment:

टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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