Friday, January 28, 2011

एक बार सोचना ...............

तुमने कहा और मैंने ,मान लिया,बस.
क्यूँ ?...........ये नहीं पूछा .
कारण भी नहीं जानना चाहा
लगा,की तुमने कुछ सोचा होगा
तुम वैसे भी कभी गलत  कहाँ होते हो?
मैंने,
तुम्हारा कहा इसलिए नहीं माना
क्यूंकि मैंने भी वही चाहा था
या मेरा भी वही मन था
पर इसलिए क्यूंकि .............
उससे तुम खुश होते.
एक बार  सोचना की .......
जैसे
मैंने तुम्हारा कहा माना
क्या तुम भी कभी
मेरा कहा ...
बिना किसी क्यूँ के
केवल मेरी ख़ुशी के लिए मानना
सीख पाओगे?????

4 comments:

  1. क्या बात है..बहुत खूब....बड़ी खूबसूरती से दिल के भावों को शब्दों में ढाला है.

    ReplyDelete
  2. बहुत बहुत शुक्रिया...संजय जी

    ReplyDelete
  3. ...

    "सोच लिया..समझ लिया..
    आपका हर कहा मान लिया..!!"

    ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. हर कहा मान लेने के लिए....:-))))

      Delete

टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

Followers